*स्तनों में निप्पल में दर्द*
*ज्यादातर महिलाओं को स्तन के निप्पल में दर्द महसूस हता है। यह दर्द आमतौर पर कई कारणों से होता है, जैसे कि स्तन पर अधिक रगड़, हार्मोन का असंतुलन, सूजन की समस्या, पर्यावरणीय कारक, एलर्जी, स्किन से जुड़ी समस्या, इंफेक्शन, खुजली, सेसिटिविटी, यौन क्रिया, प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग आदि। इस लेख में आप जानेगे निप्पल में दर्द का कारण और निप्पल में दर्द का घरेलू इलाज के बारें में।*
*निप्पल व स्तन कैंसर होने की संभावना बहुत कम होती है लेकिन यदि दोनों स्तनों के निप्पल में लंबे समय तक दर्द बना रहे तो यह ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है और यह सामान्यरूप से एक स्तन को प्रभावित करता है।*
*अगर महिला प्रेगनेंट नहीं है इसके बावजूद निप्पल से तरल या द्रव निकलता है और तेज दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। निप्पल से दूधिया, सफेद, पीला, हरा और खूनी तरल पदार्थ निकल सकता है। इसके अलावा निप्पल में खुजली, पीड़ा, सूजन और उसके आकार में भी बदलाव दिखता है।*
*निप्पल में दर्द होना कुछ मामलों में बहुत सामान्य माना जाता है लेकिन अगर लंबे समय तक दर्द बना रहे तो इसके पीछे कोई बड़ी वजह जरूर हो सकती है। आइये जानते हैं कि आखिर निप्पल में दर्द का कारण क्या होता है।*
*महिलाओं के स्तन में दर्द होना वैसे तो आम बात है। लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द की शिकायत होती है। महिलाओं के स्तन में यह दर्द एक या फिर दोनों स्तनों में हो सकता है।*
*महिलाओं के स्तन में दर्द के कई कारण होते हैं। कभी कभी पीरियड्स आने के समय हार्मोन्स असंतुलित होने की वजह से भी स्तन में दर्द की शिकायत रहती है। इस दर्द को चक्रीय दर्द कहा जाता है। चक्रीय दर्द, माहवारी आने के एक या दो हफ्ते पहले शुरू होता है और माहवारी के बाद यह दर्द बंद हो जाता है। इसके अलावा गैर चक्रीय कारण भी हैं जो कि स्तन में दर्द का कारण बनता है।*
*महिलाओं के स्तन में दर्द का कारण महिलाओं के हार्मोन्स और उनके स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है और इसका लगभग 20 प्रतिशत इलाज भी संभव है। लेकिन स्तन में दर्द होने का मतलब कैंसर नहीं है। कैंसर होने पर ब्रेस्ट की कोशिकाएं अनियमित रूप से विभाजित होने लगती है। महिलाओं के स्तन में दर्द होने के और भी कई कारण है और आज हम उसके उपचार के बारे में आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं।*
*स्तनों में होने वाले दर्द को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है।*
*1. चक्रीय दर्द*
चक्रीय दर्द महिलाओं को मासिक धर्म शुरू होने के पहले होना शुरू होता है। इसे चक्रीय मसतालगिया कहा जाता है। यह दर्द हार्मोन्स के बदलने से होता है। इस दर्द के अधिकम मामलों में स्तनों के बाहरी और ऊपरी क्षेत्र में दर्द होता है। यह दर्द सामान्य होता है और इससे घबराने की जरूरती नहीं होती है। यह दर्द मासिक चक्र के साथ आता है और पीरियड्स के जाते ही चला जाता है।
*2. गैर-चक्रीय दर्द*
इस प्रकार के दर्द अकसर 30 से 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता है। इसमे बहुत तीव्र दर्द होता है। मानों जैसे स्तनों में चोट लग गई हो। स्तन में दर्द होने से महिलाओं की ब्रेस्ट में दर्द, भारीपन, स्तनों में कोमलता, जकड़न और स्तनों के उत्तकों में जलन आदि का अनुभव होता है। यह दर्द होने के कई कारण होते हैं। लेकिन हर केस में कोई भी निर्धारित कारण निकाल पाना संभव नहीं है। फिर भी कुछ ऐसे कारण होते हैं जिनकी वजह से स्तन में दर्द होता है तो चलिए आज हम बताते हैं आपको स्तनों में दर्द के कारण
*स्तनों में दर्द के कारण*
*1. हार्मोन्स में परिवर्तन*
चक्रीय छाती में दर्द महिलाओं में होने वाले मासिक धर्म और हार्मोन्स के बीच की सबसे मजबूत कड़ी होता है। यह दर्द मासिक चक्र आने से पहले होना शुरू होता है और मासिक चक्र के जाने के बाद दर्द भी चला जाता है।महिलाओं के हर महीने के मासिक चक्र के कारण निप्पल में दर्द या परेशानी का अनुभव होना सामान्य बात है। इस दौरान निप्पल में दर्द एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन के स्तर में परिवर्तन के कारण होता है। पीरियड से पहले ब्रेस्ट एवं निप्पल अधिक मुलायम हो जाता है, यह सामान्य होता है और चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन यदि निप्पल में दर्द पीरिडय खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक बना है तो हार्मोन टेस्ट करवाकर दवा लेनी चाहिए
*2. स्तन की संरचना*
महिलाओं में गैर-चक्रिय ब्रेस्ट का दर्द भी होता है। जो कि दूग्ध नलिकाओं और दूग्ध ग्रंथियों में परिवर्तन के कारण होता है। यह कारण स्तनों में अल्सर के विकास को भी बढ़ावा देता है। स्तन आघात होने के कई कारण है जैसे यदि पहले कभी आपने स्तन की सर्जरी करवाई हो या कोई अन्य कारण भी हो सकता है। स्तन की संरचना अलग होने से छाती के आस-पास मांसपेशियों, छाती के जोड़ो और दिल पर भी दर्द होने की शिकायत रहती है।
*3. फैटी एसिड के असंतुलन के कारण*
शरीर की कोशिकाओं के अंदर फैटी एसिड के असंतुलन या फिर गड़बड़ी होने से स्तन के हार्मोन्स के प्रवाह में सहायक ऊत्तकों की संवेदनशीलता को प्रभावित करता है।
*4. दवाओं का सेवन*
कभी-कभी महिलाएं अपने बांझपन के उपचार के लिए दवाएं लेती है। उनकी वजह से भी स्तन में दर्द होता है। इसके अलावा गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन से या फिर हार्मोन्ल दवाओं के सेवन से भी ब्रेस्ट में दर्द होना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही रजोनिवृत्ति के समय उपयोग की जाने वाली एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन थेरेपी भी दर्द का कारण बनती है।
*5. स्तन की आकृति*
महिलाओं की छाती में दर्द होने का एक सबसे बड़ा कारण स्तनों के आकार का अधिक बड़ा होना भी होता है। इसके अलावा स्तनों के आकार का बड़ा होने से छाती, पीठ और कमर दर्द की शिकायत भी होने लगती है।
*6. स्तनों की सर्जरी*
स्तनों में पैदा गांठ की वजह से या फिर किसी और कारण से करवाई गई स्तनों की सर्जरी भी स्तनों में होने वाले दर्द का कारण बनता है।
*स्तनों में दर्द के अन्य कारण*
*1. तनाव और डिप्रेशन की वजह से स्तन में दर्द होना*
*2. कैफिन का ज्यादा सेवन करने से दर्द*
*3. स्तनों के बाहर दर्द की वजह से*
*4. यौवन*
*5. पसली में फ्रैक्चर होने से*
*7. प्रेगनेंसी के कारण निप्पल में दर्द –*
प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट और निप्पल में दर्द होना आम शिकायत है और आमतौर पर पूरी तरह सामान्य होता है। स्तन की कोशिकाएं हार्मोन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं इसलिए जब जब प्रेगनेंसी हार्मोन शरीर में तेजी से बनना शुरू होने लगता है तो रक्त की मात्रा भी बढ़ जाती है और यह स्तन को अधिक भारी और फुला हुआ बना देती है। यह महीनों तक वैसे ही बना रहता है और निप्पल के किनारे के क्षेत्र अधिक गहरे रंग (dark colour) के हो जाता है। इस दशा में निप्पल में दर्द होना भी स्वाभाविक होता है।
*8) निप्पल में दर्द का कारण यौन संबंध –*
शारीरिक संबंध बनाने के दौरान स्तन में अधिक रगड़ या दबाव के कारण निप्पल में दर्द होने लगता है। आमतौर पर यह दर्द अस्थायी होता है और ठीक भी हो जाता है। अगर अधिक समय तक यह दर्द बना रहता है तो स्तन पर जेल या मॉश्चराइजर लगाकर एवं एंटीसेप्टिक की सहायता से ठीक किया जा सकता है।
*9) स्तन में सूजन निप्पल में दर्द का कारण –*
स्तन की नलिकाओंमें सूजन के कारण आमतौर पर स्तनपान के दौरान स्तन से पर्याप्त दूध नहीं निकल पाता है। सूजन तेजी से बढ़ने के कारण स्तन के लाल या गहरे भाग में दर्द शुरू हो जाता है, और स्तन का निप्पल छूने में अधिक गर्म लगता है। हालांकि स्तन के निप्पल में लालिना महज इंफेक्शन का ही संकेत नहीं है।
*10) स्तन से पस निकलने से निप्पल में हो सकता है दर्द –*
स्तन से पस निकलने के कारण भी निप्पल में दर्द होता है। स्तन में सूजन होने के कारण स्तन से पस निकलता है और बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाएं ही इससे अधिक प्रभावित होती है। दर्द के साथ निप्पल से मवाद निकलने के कारण निप्पल में चुभन भी होती है। यह आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है जो ब्रेस्ट टिशू में प्रवेश कर जाता है और स्तन नलिका को ब्लॉक कर देता है। इसके कारण निप्पल में दर्द होने लगता है। निप्पल में सूजन, लालिमा और अधिक गर्म होना इसके मुख्य लक्षण होते हैं।
*11) निप्पल में दर्द का कारण एक्जिमा –*
स्तनपान के दौरान कभी-कभी ब्रेस्ट में एक्जिमा हो जाता है, हालांकि यह बहुत दुर्लभ स्थिति में ही होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में से करीब आधी संख्या में महिलाएं एक्जिमा से ग्रसित होती हैं, इसे एटोपिक एक्जिमा कहते हैं। इसके कारण निप्पल में तेज जलन होती है। एलर्जिक रिएक्शन के कारण भी एक्जिमा हो जाता है। निप्पल में सूखापन, पपड़ी निकलना और जलन होना निप्पल में एक्जिमा होने के लक्षण हैं।
*12) कैंडिडियासिस के कारण निप्पल में दर्द –*
स्तनपान कराते समय निप्पल में दर्द होना कैंडिडियासिस के लक्षण हैं। कुछ हफ्तों में ही कैंडिडियासिस के लक्षण तेजी से बढ़ जाते हैं और निप्पल में दर्द के साथ दोनों स्तनों में जलन और चुभन होने लगती है। स्तनपान के एक घंटे बाद तक दर्द बना रहता है और निप्पल में दर्द के साथ ही मृत त्वचा जैसी पपड़ी निकलती है।
निप्पल और स्तन में दर्द हो तो इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए और अगर निप्पल का दर्द कई दिनों बाद भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
*अगर दर्द के पीछे कोई गंभीर कारण नहीं है तो इन घरेलू उपायों से भी निप्पल का सामान्य दर्द ठीक किया जा सकता है।*
*ब्रेस्ट में अधिक रगड़ के कारण निप्पल में दर्द हो रहा हो तो उचित नाप का और अच्छी क्वालिटी का ब्रा पहनें। क्रीम या मलहम लगाने से भी स्तनों के बीच रगड़ कम हो जाती है।
बच्चे को दूध पिलाने से पहले अपने स्तन का दूध निप्पल के ऊपर लगा लें इससे दर्द नहीं होगा। स्तनपान कराने के बाद भी निप्पल पर अपने स्तन का दूध लगाकर सूखने दें, दर्द खत्म हो जाएगा।*
*तुलसी की पत्तियों को पीसकर पेस्ट तैयार कर लें और इसे निप्पल के ऊपर लगाएं, सूखने के बाद धो लें, निप्पल के दर्द में राहत मिलेगी।*
*बर्फ के टुकड़े को एक कपड़े में लपेटकर पोटली बना लें और निप्पल के ऊपरी हिस्से पर बर्फ से सिंकाई करें, दर्द से निजात मिल जाएगा।*
*निप्पल के ऊपर एलोवेरा जेल लगाकर कुछ देर सूखने दें फिर इसके बाद गर्म पानी से धो लें। यह प्रक्रिया कई बार दोहराएं, निप्पल का दर्द खत्म हो जाएगा।*
*अपनी पसंद के किसी भी ऑयल को गर्म करें और फिर इस ऑयल से निप्पल और स्तन के ऊपर मालिश करें। दिन में कई बार मसाज करने से निप्पल का दर्द खत्म हो जाता है।*
*अरंडी के तेल की पट्टी का इस्तेमाल करें:-*
*अरंडी के तेल की पट्टी का इस्तेमाल करने से भी आपको स्तनों में हो रहें दर्द की समस्या से निजात मिलता है, इसके उपयोग के लिए स्तनों पर सप्ताह में तीन से चार बार एक घंटे तक, दो से तीन महीनों के लिए, अरंडी के तेल की पट्टी को अपने स्तन पर लगाएं, ऐसा करने से यदि आपके स्तनों में सूजन की समस्या भी है, तो इस समस्या से भी आपको आराम मिल जायेगा, और साथ ही आपके स्तन में होने वाले दर्द से तो छुटकारा मिल ही जायेगा।*
*स्तनों के दर्द में लक्षणानुसार विभिन्न होम्योपैथी औषधियों का प्रयोग-*
*1. सैग्विनेरिया- रोगी स्त्री के दाएं स्तन के निप्पल के नीचे बहुत तेज दर्द होना, गहरी सांस लेने पर इस तरह का दर्द होता है कि जो पेट में भी महसूस होता है, दर्द रोगी स्त्री के कंधे तक चला जाता है जिसके कारण वो अपना हाथ भी ऊपर नहीं उठा सकती, मासिकधर्म आने से पहले रोगी स्त्री के स्तनों में बहुत तेजी से दर्द उठता है। इस तरह के लक्षणों में सैग्विनेरिया औषधि की 6 शक्ति का सेवन उचित रहता है।*
*2. ऐक्टिया-रेसिमोसा (सिमिसिफ्यूगा)- कुंवारी लड़कियों के बाएं तरफ के स्तन के नीचे वाले भाग में दर्द होने पर सिमिसिफ्यूगा औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग अच्छा रहता है।*
*3. पल्सेटिला- रोगी स्त्री का मासिकस्राव कम होने के साथ स्तनों के नीचे वाले भाग में दर्द होने पर पल्सेटिला औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना चाहिए।*
*4. कोनायम- मासिकस्राव होने से पहले या स्राव कम होने के साथ स्तनों में दर्द होने जैसे लक्षणों में रोगी स्त्री को कोनायम औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति देनी चाहिए।*
*5. फैलैन्ड्रियम- अगर बच्चे को दूध पिलाने के बाद दूध पिलाने वाली स्त्री के स्तनों में बहुत तेज दर्द होता है तो उसे फैलैन्ड्रयम औषधि की 6 शक्ति देने से दर्द कम हो जाता है।*
*6. क्रोटन-टिग- बच्चे को दूध पिलाने वाली स्त्रियों के स्तनों का दर्द जो पीठ तक पहुंच जाता है उनको क्रोटन-टिग औषधि की 6 या 30 शक्ति का सेवन करने से लाभ मिलता है।*
*7. कैलेण्डुला-लोशन- अगर रोगी स्त्री के स्तनों में दर्द होता है तो आधे कप पानी में एक छोटा चम्मच कैलेण्डुला औषधि का चूर्ण मिलाकर उस पानी से स्तनों को धोना चाहिए। इस चूर्ण मिले हुए पानी को कैलेण्डुला औषधि का लोशन बोला जाता है।*
*8. आर्निका-लोशन- आर्निका औषधि के मूलार्क की लगभग 20 बूंदों को एक गैलन के आठवां हिस्सा पानी में डालकर उससे स्तनों को धोने से स्तनों में होने वाला दर्द चला जाता है।*
*9. हैमेमेलिस-लोशन- हैमेमेलिस औषधि की 20 बूंदों को भी एक गैलन के आठवें हिस्से के पानी में डालकर स्तनों को धोने से रोगी स्त्री को स्तनों के दर्द में बहुत आराम मिलता है।*
*सावधानी- इन सारी औषधियों के लोशन का इस्तेमाल करने के बाद एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इसके प्रयोग के बाद बच्चें को दूध पिलाने वाली स्त्रियों को अपने स्तनों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।*
*1. कैस्टर-इक्वी- स्त्रियों के स्तनों के कटने-फटने या उनमे किसी तरह का जख्म होने पर कैस्टर-इक्वी औषधि की 6 या 12 शक्ति का इस्तेमाल करने से लाभ होता है।*
*2. सीपिया- स्त्री के स्तनों में सूजन आने पर या फट जाने पर उसे सीपिया औषधि की 200 शक्ति दी जा सकती है।*
*3. ग्रैफाइटिस- ग्रैफाइटिस औषधि भी स्त्रियों के स्तनों में सूजन आने पर या फट जाने पर प्रयोग की जा सकती है। इसके अलावा जख्म में गोंद के जैसा स्राव होने में भी इस औषधि की 30 या 200 शक्ति रोगी स्त्री को दी जा सकती है। जख्म के सूखने के बाद उसके ठीक होने पर ये उसके निशानों को बिल्कुल साफ कर देती है।*
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वेग दो प्रकार के
शारीरिक :- अपान वायु,मल,मुत्र,जंभाई, आँसू, छीक, डकार,वमन,वीर्य,भूख,प्यास,स्वास व नींद 13 शारीरिक वेग हैं 14वाँ अपथ्य भोजन
मानसिक:- काम , क्रोध, मद,लोभ,ईर्ष्या, द्वेष मानसिक वेग हैं।
शारीरिक वेगो को रोकने से रोग होते हैं और मानसिक वेगो को रोकने से शरीर स्वस्थ रहता है।
अपानवायु रोकने से
पेट का अफरना, हृदय रुकना, सर दर्द,हिचकी,खाँसी,जुकाम,गला बैठना,मल का रुकना व अन्य रोग होते हैं।
मल रोकने से पेट मे गुड़गुड़ाहट, खट्टे डकार , पेट दर्द, गुद्दा द्वार में दर्द होता है।
मुत्र रोकने से नाभि में दर्द, सिर में तीव्र दर्द व इन अंगों में सुई चुभन जैसा दर्द अन्य रोग होते हैं।
जंभाई रोकने से गर्दन में दर्द, आँख कान नाक व मुख के रोग होते हैं
आँसू रोकने से सर दर्द व आँख के रोग होते हैं
छीक रोकने से सिर,आँख, नाक,कान,गले व मुख के रोग होते हैं।
डकार रोकने से हृदय व आमाशय में दर्द व पेट मे वायु की आवाज गूंजती है।
वमन(उल्टी) रोकने से
चर्म रोग,शरीर मे जलन,भूख न लगना,पाण्डु, सूजन,कोढ़,बुखार व जी मचलना जैसे रोग होते हैं।
भूख रोकने से अंगों का टूटना, कमजोरी,अरुचि,थकावट व नेत्र ज्योति के रोग होते हैं।
प्यास रोकने से हृदय व छाती में दर्द, गला व मुख के रोग व कानो में आवाज कम सुनाई देने जैसे रोग होते हैं।
स्वास रोकने से पेट मे गोला, हृदय में पीड़ा,बेहोशी जैसे रोग होते हैं।
नींद रोकने से जंभाई, अंगों का टूटना,सिर,शरीर व आँखे भारी लगने लगती है व अल्प आयु होती है।
अपथ्य भोजन करने से सभी रोग होते हैं ।
उपर्योक्त ज्ञान धन्वन्तरि कृत आयुर्वेद योग सँग्रह पुस्तक की है।
अतः आप सब से विनती व अपील है कि आयुर्वेद के यम नियम का पालन कर अपने पूर्वजों की तरह आरोग्य आयु को प्राप्त करें।
सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेद ही हमे आरोग्य आयु का ज्ञान व रोग होने पर चिकित्सा देता है बाकी सभी चिकित्सा पद्धति रोग होने के बाद ही चिकित्सा करता है।
आयुर्वेद चिकित्सा की पहली औषधी केन्द्र है आपकी रसोईघर ,मसाले आपकी औषधी है।
जिस प्रकार हमने जीवनयापन हेतु कम से कम क ख ग, 1 2 3 4, जोड़ गुणा घटाव भाग सीखा और नही भूले उसीप्रकार हमे अपने स्वस्थ व समृद्धि हेतु रसोईघर की औषधि का ज्ञान व आयुर्वेद के यम नियम का ज्ञान होना चाहिए ।
एक अपील
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत निर्माण हेतु
एक अपील अनुरोध आग्रह विनती
स्वथ्य शरीर से धन कमाया जा सकता है लेकिन धन से स्वथ्य शरीर नहीँ
आप से बेहतर आप के शरीर को कोई नही जान सकता
85% रोगों का इलाज आप स्वम कर सकते हैं
आपको अपने भोजन को पहचानने की जरूरत है
साथ ही ये नियम का पालन करे
1. खाना खाने के 90 मिनट बाद पानी पिये
2. फ्रीज या बर्फ (ठंडा) का पानी न पिये
3. पानी को हमेशा घुट घुट कर पिये ( गर्म दूध की तरह)
4. सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये गुनगुना पानी पिये
5.खाना खाने से 48 मिनट पहले पानी पिये
6. सुबह में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो जूस पिये
7. दोपहर में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो मठ्ठा पिये
8. रात्रि में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो दूध पिये
9. उरद की दाल के साथ दही न खाए (उरद की दाल का दही बडा )
10.हमेशा दक्षिण या पूर्व में सर करके सोये
11. खाना हमेशा जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाये
12. अलमुनियम के बर्तन का बना खाना न खाए(प्रेशर कुकर का )
13.कभी भी मूत्र मल जम्हाई प्यास छिक नींद इस तरह के 13 वेग को न रोकें
14. दूध को खड़े हो कर पानी को बैठ कर पिये
15. मैदा चीनी रिफाइंड तेल और सफेद नमक का प्रयोग न करे ( इसकी जगह पर गुड , काला या सेंधा नमक का प्रयोग करे)
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